अजब-गजब: ऐसे हुई थी डायनासोर के अस्तित्व की खोज, मेगालोसौरस था पुराना नाम, लंदन में इस जगह मिला था पहला जीवाश्म
- लंदन में मिला पहला सबूत
- डायनासोर नहीं मेगालोसौरस था पुराना नाम
- विलियम बकलैंड ने की पहली स्टडी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनिया में डायनासोर के होने या न होने को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। कुछ ऐसी ही स्टडी आज से 200 साल पहले भी हुई थी। लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जिस समय नई जियोलॉजिकल सोसाइटी बनाई गई थी। तब वहां विलियम बकलैंड जियोलॉजी के सबसे पहले प्रोफेसर बन थे। उन्होंने बताया था कि दुनिया में डायनासोर नाम के जीव पाए जाते थे, जो दिखने में विशाल छिपकली की तरह होते थे। इस जीव को उन्होंने मैगालोसौरस यानी विशाल छिपकली का नाम दिया था। ऐसे में हैरानी वाली बात यह कि आखिर उन्होंने इस जीव को कैसे खोजा ?
सीएनएन की खबर के अनुसार, उस विशाल जीव के अस्तित्व का पता प्रो.विलियम को उसके जीवाश्म से चला जो असल में उसका निचला जबड़ा था। फिर इस पर आगे अध्ययन करते समय उन्होंने उसका नाम मेगालोसौर रख दिया था। बताया जाता है कि यह नाम डायनासौर नाम से रखने के करीब 20 साल पहले रखा गया था। ब्रिटेन की लोकल खदानों में यह जीवाश्म पाया गया था। उस दौर में इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी। जीव मांसाहारी है इस बात का पता विलियम ने जीव के दांतों को देखकर लगाया। इसके अलावा उन्होंने जीव की ऊचांई 40 फीट बताई जो कि लगभग 12 मीटर जितनी रही होगी। विलियम ने कहा कि यह जीव चार पैरों पर चलता होगा। प्रोफेसर के मुताबिक मेगालोसौरस पानी और जमीन दोनों जगह पर आसानी से रह लेते होंगे।
इन जीवों को नाम डायनासोर पहली बार लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के फाउंडर और वैझानिक रिचर्ड ओवन द्वारा दिया गया था। साल 1854 में क्रिस्टल पार्क में इस जीव की एक चार पैरों वाली मूर्ति बनाई गई थी। हालांकि, समय के साथ-साथ शोध होते गए, जिनमें पता चला कि यह जीव 4 नहीं, बल्कि 2 पैरों पर चलते थे। मतलब यह मनुष्यों की तरह ही चलते थे। वहीं, आज के समय के वैज्ञानिक का कहना है कि लंबाई में ये विशालकाय जीव लगभग 6 मीटर के हुआ करते थे।
नेशनल हिस्ट्री म्यूजियम के मुताबिक ये डायनासोर बाथोनियन काल में पाए जाते थे। जिसका मतलब यह कि आज से लगभग 16 करोड़ साल पहले इन जीवों का अस्तित्व हुआ करता था। सीएनएस की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान समय में वैज्ञानिकों ने डायनसौर की 1000 से भी ज्यादा प्रजातियां को ढूंढ निकाला है। इससे पहले 1990 में डायनासोर के पंख वाले जीवाशम भी पाए गए थे। यह इस बात का संकेत है कि वर्तमान समय के पक्षी भी डायनासोर से ही विकसित हुए हैं। मैगालोसौरस के विषय के बारे में काफी लंबे वक्त देखा पड़ा गया है। इस प्रकार के डायनासोर के बारे में चार्ल्स डिकेन्स ने अपनी नॉवेल 'ब्लीक हाउस' में जानकारी दी है।